Saturday, February 15, 2014

अगर गब्बरसिंह आम आदमी पार्टी से चुनाव लडे तो?


अगर गब्बरसिंह आम आदमी पार्टी से चुनाव लडता (हॅसो मत, 'आप' से चुनाव लडनेवाला कोई डाकु, चोर या लुटेरा नहीं) तो कहता: वीरु और जय चोर है। मैं तो प्रमाणिकता से कुछ आटा मागता हूं तो क्या ये मेरा गुनाह है? मैं तो छोटा आदमी हूं जी। मेरी औकात क्या है। मैं तो ऐक ही तरह के कपडे पहनता हूं, खैनी खाता हूं, मेरा तो ठाकुर जैसा बडा घर नहीं, पहाड पे रहता हूं। बच्चो को मेरे नाम से नींद भी आ जाती है,  फिर भी सरकार ने मुजे पकडने के लिए 50 हजार का ईनाम रखा है। और जय और वीरु खुले घूम रहे है। मैं गांव लूटुं तो संविधान के खिलाफ और जय-वीरु चोरीचकारी करे तो संविधान के मुताबिक? संविधान तो मैंने भी पढा है जी।
आप को सलामती सिर्फ एक ही आदमी दे सकता है। खुद गब्बर।
देखो, पहले ठाकुर ने वीरु और जय को पकडा था (शोले का प्रारंभिक द्रृश्य) लेकिन मैं आ गया तो कैसे तीनो मिल गए। बहोत याराना लगता है। सब बेईमान है, चोर है, हाक थूं।

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