विराट कोहली के नेतृत्व में भारत की टीम बूरा प्रदर्शन कर रही है।
विराट कोहली स्वयं दो चार रन बनाकर पेवेलियन लौट जाते है।
विराट बुमराह को ऑपनिंग में और रोहित शर्मा को बोलिंग में ऑपनिंग में भेजते है।
विराट महेन्द्रसिंह धोनी को बाउन्डरी पे फिल्डिंग करने खडा कर देते है। और स्वयं कीपिंग करते है।
लेकिन वो बीच बीच में इन्जर्ड हो कर पेवेलियन लौट जाते है।
दो तीन बैट्समेन एसे है जो बहोत धीमा खेलते है और सामनेवाले बैट्समेन को रन आउट करा देते है।
वे अपने साथीओ के साथ विरोधी टीम की प्रशंसा करते रहते है।
लेकिन विराट उन को चेतावनी देने की जगह उन को प्रमोट करते रहते है।
बहोत आलोचना हो तो उन को एक या दो मैच में विराम देकर फिर से दूसरी मैचों में खिलाते है।
मैच से पहले भारतीय टीम प्रेक्टिस करती दिखती नहीं।
मैच समाप्त होने के बाद विराट रिलैक्स होने थाइलेन्ड चले जाते है।
विराट कोहली हंमेशां मैच से पहले विरोधी टीम की आलोचना करते ट्वीट करते है।
अपने लिए वो रनर मंगाते है।
हर बार मैच हार जाने के बाद विराट डीआरएस की आलोचना करते है। वो कहते है कि हम डीआरएस के कारण हारें हैं।
मैच हारने के बाद विराट कहते है, "हम नहीं हारें, हिन्दूस्तान हार गया।"
विश्व कप श्रेणी समाप्त होने के बाद विराट अपने कप्तान पद से त्यागपत्र दे देते है।
उन की बहन और माता हार के लिए टीम को जिम्मेदार ठहराते है और कहते है, "आप लोग बराबर नहीं खेलें, इस लिए हम हार गयें, वर्ना मेरे भाई ने तो अच्छा ही खेला था।"
उनको पहेले अपनी टीम मनाने आती है तो वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।" टीम के सारे खिलाडी त्यागपत्र दे देते हैं।
फिर मैनेजर आते है तो भी वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।"
फिर कॉच आते है तो भी वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।"
फिर सिलेक्शन कमिटी आती है, तो भी वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।"
फिर बीसीसीआई की कमिटी आती है, तो भी वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।"
फिर उनका एक कथित फैन आत्महत्या की कोशिश करता है और वे कहते है, "ठीक है, आप कहते है तो मैं कप्तान पद पर चालु रहता हूं, लेकिन हार के लिए मुझे मत जिम्मेदार गिनयेगा।"
आज कल कॉंग्रेस में यही ड्रामा चल रहा है।
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