या तो जल्द से जल्द भारत पाकिस्तान युद्ध अनिवार्य या पाकिस्तान में बेकाबू विद्रोह आवश्यक
आज चुनाव चर्चा में राष्ट्रवाद का मुद्दा, पाकिस्तान के आतंकी अड्डे पर एक ओर हमला यह मुद्दे छाये रहे। अभी हमें ओर राष्ट्रवाद के इसी तरह के मुद्दे के लिए तैयार रहना चाहिए। कारण यह है कि चीन इस्ट इन्डिया कंपनी के रस्ते चल कर साम्राज्यवाद तेजी से फैला रहा है। ताजा समाचार यह है कि उसने एक गुप्त सौदे में सोलोमन द्वीपसमूह का एक द्वीप तुलगी ७५ वर्ष तक लीझ पर लिया है। (https://www.express.co.uk/news/world/1192304/South-China-Sea-news-latest-World-War-3-solomon-islands-beijing-us-washington) जिस कंपनी ने लीझ पर लिया है उसका नाम चीन साम है। उसकी वेबसाइट पर लिखा है कि वह हंमेशां चीनी वाम पंथी दल के नेतृत्व की आज्ञा पालन करेगी।
इस घटनाक्रम से अमेरिका भी चौंक गया है क्योंकि यह प्रशांत महासागर में उसके प्रभुत्व को चुनौती देने जैसा है। चलिए, अभी हमारी इतनी भी औकात नहीं बढी कि हम इस बात से चिंतित हो, लेकिन हमारी चिंता यह होनी चाहिए कि बलोचिस्तान, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अड्डे बनाने के बाद अब चीन ने गुजरात की हरामी नालेवाली सरहद पास ५५ वर्ग किमी जगह लीझ पर ली है। (https://www.newsnation.in/india/news/pakistan-gives-55-sq-km-land-to-chinese-firm-near-harami-nala-along-gujarat-border-report-241184.html)
वैसे तो बलोचिस्तान में अड्डा बनाया तब ही हमें सचेत होकर कुछ करना चाहिए था लेकिन तब कॉग्रेस नीत युपीए सरकार थी जो इस बारे में नीति बनाने की जगह घोटाले और हिन्दू आतंकवाद की झूठी थियरी को सच बनाने के प्रयास में लगी पडी थी।
लेकिन अभी नहीं तो कभी नहीं जैसी स्थिति है क्योंकि जैसी स्थिति पाकिस्तान की है, हो सकता है कि आगे चलकर राजस्थान और पंजाब सरहद पर भी पाकिस्तान में चीन कंपनी के नाम पर जमीन ले ले। फिर हमारी परेशानी दोनो ओर से बढ जायेगी।
यहां देखनेवाली बात यह भी है कि ब्रिटन इस्ट इन्डिया कंपनी द्वारा बढा या चीन अपनी अलग अलग कंपनियों द्वारा शनैः-शनैः आगे बढ रहा है वैसे क्या भारत सोच सकता है? क्या भारत में एसी राष्ट्रनिष्ठ कंपनियां है? भारत की ज्यादातर कंपनियां मुनाफे से आगे कुछ नहीं देखती। वैश्विक सुस्ती आयी तो मंदी का और कर्मचारियों को निकाल बहार करने का शोर मचाकर कॉर्पोरेट टेक्स घटवा लिया।
तो हल क्या है? हल है या तो भारत - पाकिस्तान युद्ध हो (इसके लिए आज जो वातावरण है उसमें हाफीझ सईद, मसूद अजहर और दाउद इब्राहिम जैसे निमित्त है ही) जिस से चीन की कंपनियों को भी भागना पडे या पाकिस्तान का आंतरिक विद्रोह इतना बेकाबू हो कि वह भारत में संमिलित होने की मांग करे। याद रहे कि चार टुकडे कर के बांग्लादेश की तरह ओर चार दूश्मन को जन्म देना मूर्खता ही होगी। वैसे शैख हसीना और मोदी के नेतृत्व में अभी तक बांग्लादेश भारत का दोस्त या प्यादा बना हुआ था लेकिन एनआरसी को क्रियान्वित करने के बाद या सोनिया-प्रियंका से शैख हसीना की मुलाकात के बाद बिना कोई कारण बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) ने सीमा सुरक्षा बल के एक जवान की हत्या की। (मोदी सत्ता में आने के बाद विदेशी प्रमुख विपक्ष के नेता से मिले यह परंपरा बंध सी ही थी क्योंकि मोदी विरोधी दल के नेता को दिल्ली बहार ही बुलाने लगे हैं।)
तो इस स्थिति में दो ही उपाय है - पाकिस्तान से युद्ध या पाकिस्तान में विद्रोह।
युद्ध से किसी का भला नहीं होता, दोनों तरफ जानहानि होगी, पाकिस्तान के पास परमाणु शस्त्र है, चीन चूप नहीं बैठेगा आदि निर्माल्य दलील है क्योंकि यदि चीन युद्ध में कूदेगा तो अमरिका, जापान क्या चूप बैठेंगे?
(सभी तस्वीरें : इन्टरनेट)