भारत में विदेशी शॉ की भद्दी नकल 'बिग बॉस', वेब सीरीज 'सेक्रैड गेम्स', 'लीला' आदि का बहोत विरोध है। इस से पहले बीबीसी की दिल्ली की पेरा मेडिकल विद्यार्थिनी पर सामूहिक बलात्कार और हत्या पर दस्तावेजी फिल्म पर प्रतिबंध रखा गया।
भारत एक बजार है। कला संस्कृति, आईटी, क्रिकेट और स्पेस सायन्स में सुपर पावर बनने के काफी नजदीक है। लेकिन भारत और हिन्दू संस्कृति को खराब दर्शाना तथा टीवी पर वल्गारिटी की हद करना इस बाबत में भारत की सरकारें उदासीन ही रहती है। बिग बॉस में सन्नी लियोनी और पॉल डान्स आया, तब सब चूप रहें। वीणा मलिक जो आजकल भारत को भरभर के कोस रही है वो आई तब सब चूप रहे। राखी सावंत, पामेला एन्डरसन आई तब सब चूप रहे। ओर तो ओर शाहरूख, सलमान चपल के साथ मंदिर (वो सेट ही क्यों न हो) दिखे तो थोडा विरोध हुआ। २०१५ में तो हद हो गई जब किश्वर नामक प्रतियोगी को कुत्तिया बना के उसको थर्मोकोल की ही सही, हड्डी लाने का कार्य सोंपा गया और पैसे के लिए उसने एसा किया। हिन्दू संतो को खराब दिखाने के लिए तथकथित बाबा ओम को लाया गया। इससे पहले वामपंथी एनडीटीवा के चैनल इमेजिन पर राखी का स्वयंवर, राखी का इन्साफ जैसे शॉ आये। स्टार पर सच का सामना जिस में सेलिब्रिटी सच के नाम पर गंदकी बताते थे आया।
लेकिन भारतीय संस्कृति पर इतने हमले पर सरकारे चूप रही। फिल्म सेन्सर बॉर्ड अवश्य है लेकिन फिल्मों में भी पीके, मिशन मंगल, लुका छुपी जैसी फिल्में हिन्दूओ को खराब दिखाती रही। इस्लाम और इसाइयत का प्रचार करती रही। पहली अवधि में सेन्सरशिप को लेकर बहोत आलोचना झेल चूकी मोदी सरकार दूसरी अवधि में उदार है। जब वेबसीरिझ या इन्टरनेट कन्टेन्ट की बात आती है तो सरकारों के पास बहाना है कि वह हमारे नियंत्रण में नहीं।
अब चीन को लीजिए। चीन की सरकार का क्रोध झेलना न पडे इस लिए होलिवूड के फिल्मकार विशेष ध्यान रखते है। इस की आलोचना करता हुआ एक एपिसोड 'बेन्ड इन चाइना' एडल्ट एनिमेटेड धारावाहिक 'साउथ पार्क' में दिखाया गया। चीन ने अपने देश में सब स्ट्रिमिंग सर्विस, सॉशियल मीडिया, अरे फैन पेजीस पर से भी हटा दिये। 'साउथ पार्क' के निर्माता ने व्यंग्य करते हूए क्षमा मागी कि हमें भी स्वतंत्रता और लोकतंत्र से ज्यादा धन पसंद है।
तो बात यह है। आप के देश में केवल सरकार चला के अपनी मनमानी करना यह आपका उद्देश्य बिलकुल नहीं हो सकता। यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते है लेकिन जहां तक कला संस्कृति की बात आती है उनकी सरकार उदासीन ही दिखती है। केवल पाकिस्तान को झुकाना ही राष्ट्रवाद नहीं, नई पीढी की चिंता कर के कला संस्कृति में विकृति पर लगाम भी देशहित का ही काम है।
(तस्वीरें : इन्टरनेट)
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