वो चाहता तो पहले के प्रधानमंत्रियों की तरह दिल्ली में अपने घर पर विदेशी प्रमुखों को मिल सकता था। वो चाहता तो पूर्व प्रधानमंत्रियों की तरह वह भी किसी नेता, उद्योगपति, मीडिया को दुश्मन बनाये बिना पांच-दस वर्ष राज्य कर के रिटायर हो सकता था। उसे भी पूर्व प्रधानमंत्री को मिलनेवाला बंगला दिल्ली में मिल जाता। उसको भी एसपीजी सुरक्षा मिल जाती। लेकिन अब वह जानता है कि चूं कि उसने मनमोहन की सुरक्षा अल्प कर दी तो विरोधी दल की सरकार रही तो ओर उस को भी अल्प सुरक्षा मिलेगी या सुरक्षा ही न मिले।
वह पूर्व सांसदो के बंगले खाली करवा रहा है। शेल कंपनीयो के विरुद्ध कार्रवाई कर रहा है। ओलमॉस्ट सारा मीडिया उसका दुश्मन है। और जो आज साथ दिखाई दे रहे है वह कल दूसरे दल की सरकार आते ही पलट सकते है।
फिर भी वह कोशिश कर रहा है, भारत बदलने की। वह चाहता है, भारत प्रमाणिक लोगों का देश हो, वह चाहता हो, कर्मचारी समय पर आये। परोपदेशे पांडित्यम् नहीं, वह अपने उदाहरण से बताता है कि देश के लिए १८ घंटे बिना थके काम किया जा सकता है। वह चाहता है कि देश स्वच्छ हो। देश की हवा शुद्ध हो। समुद्र किनारा शुद्ध हो। वह चाहता है कि देश की भाषाओं का महत्त्व बढें। वह विदेशी प्रमुखो के आगमन या उनसे मुलाकात के समय उनकी हिब्रू, फ्रेन्च में ट्वीट कर के विदेशी भाषाओं का भी गौरव गान कता है। वह प्रति प्रात: हमारे एसे महानुभाव विश्वेश्वरैया, वीर सावरकर, सुभाषचंद्र बोज आदि को याद करके ट्वीट करता है जिनके अमूल्य प्रदान को भूला दीया गया है।
वह वीर सावरकर की काल कोठरी की मुलाकात लेता है। वहां ध्यान करता है। वह आंदामान निकोबार द्वीपों का नाम सुभाषबाबु की याद में बदलता है। वह सुभाषबाबु द्वारा २१ अक्तूबर को स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार रचने की याद में लाल किल्ले पर ध्वजवंदन कर के नयी परंपरा स्थापित करता है। वहां सुभाषबाबु म्युजियम बनवाता है। भारत के लोग तो पंडित श्यामजी कृष्ण वर्मा को भूल गये थे। उनके दल के गुजरात के नेता भी इस वर्ष भूल गये थे। लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वह उनके अस्थि जीनेवा से ले आया। उसकी यात्रा निकाली ताकि सामान्य मानवी को क्रांतिकारी पंडितजी के बारे में पता चले। (वर्ना भारत में तो एक ही पंडित हुए थे - नहेरु) मुख्यमंत्री रहते उसने संविधान यात्रा निकलवाई। वह चाहता तो सचीन तेंडुलकर की तरह फरारी पर कर बाद करवा सकता था। किसी को पता भी न चलता। (उत्तर प्रदेश में आज तक मुख्यमंत्री और मंत्रियों का निजी कर सरकारी तिजोरी से भरा जाता था, किसीको पता था?) लेकिन उसने पत्र लिख कर कर कटवाया जिससे उदाहरण स्थापित हो।
उसने पुलीस मेमोरियल की अनेक वर्षो के रुके काम को पूरा करवा के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
एसे तो अनगिनत काम है। लेकिन उसकी बात नहीं है। वह केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं चाहता। वह केवल नये कायदे कानून नहीं चाहता। वह चाहता है भारत का समाज अपनी आदतों को सुधारें। इस लिए वह अपना उदाहरण स्थापित करता है। राम लीला पर वह टिश्यू को फेंकने या सहायक को देने के स्थान पर अपनी जेब में डालता है। वह अमरिका में स्वागत बुके से गिर गये पुष्प को स्वयं उठाता है।
इस लिए वह चाहता तो जिनपिंग शिखर परिषद के समय प्रात: होटल में आराम या अपनी योग आदि दिनचर्या कर सकता था लेकिन वह समुद्र तट पर टहलने निकल पडता है। वहां छोड दिया हुआ प्लास्टिक का कचरा उठाता है। जिससे उसका काला टीशर्ट पसीने से भर जाता है। (अब तक तो समज गये ही होंगे कि बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की है।)
और आपने क्या किया? आपने सॉशियल मीडिया पे फॉरवर्डेड पॉस्ट फॉरवर्ड की। आप एसी पॉस्ट आते ही उसके अभी तक के पूरे जीवन को भूल जाते हो। उसके द्वारा किये गये चुनौतीपूर्ण कार्यो जैसे धारा ३७० समाप्त करना, तीन तलाक समाप्त करना, अंग्रेजो के समय के व्यर्थ कानूनो को रद्द करना, विदेश की धरती पर वहां के शक्तिशाली प्रमुखो की उपस्थिति में भारत के गुण गाना भूल जाते हो।
और वह पॉस्ट भी किसकी थी? कार्ति चिदम्बरम् की। जो एॅयरसेल-मेक्सिस में अभियुक्त है। जिसके पिता पी. चिदम्बरम स्वयं तिहाड जेल में आर्थिक अपराध के कारण बंध है। और कार्ति ने टॅ स्क्रीन (Tayscreen) नामक वेबसाइट से शूटिंग क्रू की तसवीर ली या उनकी टीमने या जहां से भी उनको मिली हो, ट्विटर पर डाली, यह दिखाने के लिए कि मोदी द्वारा प्लास्टिक का कचरा उठाना यह एक एड फिल्म जैसा शूटिंग था। अब यह तो आज का बच्चा भी जानता है कि विडियो बना है तो शूट भी हुआ ही होगा। मोदी विरोधीओ ने दूसरी तसवीर जो डाली उस में एक टीम को समुद्र तट साफ करते दिखाया गया। वह तसवीर गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर 'हिन्दू' वृत्त पत्र की दिखती है जो आज से छ महिने पुरानी अर्थात् अप्रैल २०१९ की है। 'हिन्दू' हो सकता है, भविष्य में वह लिंक हटा दे इस लिए लिंक के साथ स्क्रीनशॉट भी यहां दे रहा हूं।
तो एसे महान संदेश देनेवाले विडियो का विरोध इस तरह फेक पॉस्ट से फैला के विरोधीओ ने मोदी को अपने प्रशंसको दृष्टि में ओर महान किया है। आप ने उसकी प्लास्टिक का कचरेवाला थेला उठानेवाली तसवीर को एक कबाडीवाली बच्ची की तसवीर से जोडकर भले उसका उपहास का आनंद लिया हो, इससे गरीब वर्ग में तो उसकी लोकप्रियता ओर बढी ही है। एसा नहीं है कि उसकी हर नीति सही है या उसकी हर बात सही है। इस लिए आगे से विरोध करिएगा तो मुद्दो पर, तर्क से और पूरी सच्चाई से करिएगा। क्योंकि वह भी सकरात्मक आलोचना और आलोचको को पसंद करता ही है।
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