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Tuesday, July 2, 2019

सोचों कभी एसा हो तो क्या हो?


विराट कोहली के नेतृत्व में भारत की टीम बूरा प्रदर्शन कर रही है।
विराट कोहली स्वयं दो चार रन बनाकर पेवेलियन लौट जाते है।
विराट बुमराह को ऑपनिंग में और रोहित शर्मा को बोलिंग में ऑपनिंग में भेजते है।
विराट महेन्द्रसिंह धोनी को बाउन्डरी पे फिल्डिंग करने खडा कर देते है। और स्वयं कीपिंग करते है।
लेकिन वो बीच बीच में इन्जर्ड हो कर पेवेलियन लौट जाते है।
दो तीन बैट्समेन एसे है जो बहोत धीमा खेलते है और सामनेवाले बैट्समेन को रन आउट करा देते है।
वे अपने साथीओ के साथ विरोधी टीम की प्रशंसा करते रहते है।
लेकिन विराट उन को चेतावनी देने की जगह उन को प्रमोट करते रहते है।
बहोत आलोचना हो तो उन को एक या दो मैच में विराम देकर फिर से दूसरी मैचों में खिलाते है।
मैच से पहले भारतीय टीम प्रेक्टिस करती दिखती नहीं।
मैच समाप्त होने के बाद विराट रिलैक्स होने थाइलेन्ड चले जाते है।
विराट कोहली हंमेशां मैच से पहले विरोधी टीम की आलोचना करते ट्वीट करते है।
अपने लिए वो रनर मंगाते है।
हर बार मैच हार जाने के बाद विराट डीआरएस की आलोचना करते है। वो कहते है कि हम डीआरएस के कारण हारें हैं।
मैच हारने के बाद विराट कहते है, "हम नहीं हारें, हिन्दूस्तान हार गया।"
विश्व कप श्रेणी समाप्त होने के बाद विराट अपने कप्तान पद से त्यागपत्र दे देते है।
उन की बहन और माता हार के लिए टीम को जिम्मेदार ठहराते है और कहते है, "आप लोग बराबर नहीं खेलें, इस लिए हम हार गयें, वर्ना मेरे भाई ने तो अच्छा ही खेला था।"
उनको पहेले अपनी टीम मनाने आती है तो वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।" टीम के सारे खिलाडी त्यागपत्र दे देते हैं।
फिर मैनेजर आते है तो भी वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।"
फिर कॉच आते है तो भी वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।"
फिर सिलेक्शन कमिटी आती है, तो भी वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।"
फिर बीसीसीआई की कमिटी आती है, तो भी वो कहते है, "नहीं, मैं कप्तान नहीं रहना चाहता।"
फिर उनका एक कथित फैन आत्महत्या की कोशिश करता है और वे कहते है, "ठीक है, आप कहते है तो मैं कप्तान पद पर चालु रहता हूं, लेकिन हार के लिए मुझे मत जिम्मेदार गिनयेगा।"
आज कल कॉंग्रेस में यही ड्रामा चल रहा है।
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀

Friday, April 26, 2019

काल्पनिक इन्टरव्यू: जब शाहरुख मेट राहुल

ये केवल हास्य उत्पन्न करने के लिए काल्पनिक चित्र है।

जिस तर्ज पर अक्षयकुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इन्टरव्यू लिया उस से लिबरलों-सेक्युलरों को काफी जलन हुई है। पेट में पीडा उठी है। राहुल गांधी ने अब तक सिरियस-पॉलिटिकल इन्टरव्यू भी नहीं दिया (या देने की हिंमत नहीं हुई पीछले लोक सभा चुनाव में अर्नब का इन्टरव्यू के अनुभव को याद कर के) तो अक्षयकुमार जैसा नोन पॉलिटिकल इन्टरव्यू की तो बात ही नहीं आती। चलो, हम एक कल्पना करते है। सब से पहले तो, कौन सा फिल्म कलाकार इन्टरव्यू लेगा। तो स्वाभाविक है कि साथ में आईपीएल मेच देखनेवाला शाहरुख खान पहली चॉइस होगी। तो चलिए, शाहरुख खान राहुल गांधी का कैसे काल्पनिक इन्टरव्यू लेते है, देखते हैं।

शाहरुख: राहुल, नाम तो सूना ही होगा।
राहुल: जी सूना है। आज बिहार में एक सभा में एक बच्चा भी राहुल नाम का था। जिस को मैंने रोजगार का वादा किया है।

शाहरुख: सर, मैं हंमेशां मेरी ही बात करता हूं। 'राहुल नाम तो सूना ही होगा' एसा मैं हंमेशां मेरी फिल्मों में बोलता रहता हूं।
राहुल: अच्छा, आप की फिल्में...यस, मैं देखता हूं। 

शाहरुख: कौन सी देखी?
राहुल: झीरो, रा.वन, जब हैरी मेट सेजल, रइस...बहोत अच्छी थी। मैं अगर प्रधानमंत्री होता तो आप को नेशनल एवोर्ड मिलना ही था।

शाहरुख: (तभी मैं सोचूं कि मेरी इतनी बकवास फिल्मों को कैसे दर्शक मिल जाते है) सर, आप थियेटर में गये तब आपने क्या खाया था?
राहुल: समोसा। समोसा मुझे बहोत प्रिय है। मैं चुनाव के दौरान एयर क्राफ्ट में भी खाता हूं।

शाहरुख: चटनी के साथ, या बिना चटनी के?
राहुल: मैं कैसे भी खा सकता हूं।

शाहरुख: ओर क्या पसंद है आप को?
राहुल: नमकीन। अभी हम उत्तर प्रदेश में दौरे पर थे तब एक ढाबे पर गये थे, राज बब्बरजी और ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रियंका हमारे साथ थीं। तब गरीबों को खास बुलाया गया था। उस के बच्चों के साथ प्रियंकाने बात की थी, लेकिन मेरा ध्यान तो नमकीन सफाचट करने पर ही था। जैसे हमारे कमलनाथजीने मध्य प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के पैसे को सफाचट किया है।

शाहरुख: आप के बचपन की बात करते हैं, सर आप को बचपन में किस नाम से जाना जाता था?
राहुल: राहुल द विंची (ओह सोरी, मम्मा ने मना किया था, ये नाम मत बोलना) नहीं नहीं, पप्पु (ओह, ये तो भाजपा के आईटी सेल ने दिया हुआ है) नहीं नहीं राहुल ही बुलाते थे।

शाहरुख: सर, आप बचपन में खेल खेलते थे?
राहुल: हाँ, मैं और प्रियंका अक्सर कुर्सी का खेल खेलते थे।

शाहरुख: ये खेल क्या होता है?
राहुल: ये वैसे है तो म्यूझिकल चॅयर जैसा ही खेल, लेकिन हमें दादीमां इस तरह समजाती थी कि देखो भय्या, ये पीएम की कुर्सी है। इस पर मेरे बाद तुम्हारे पापा बैठेंगे, फिर तुम्हारी बारी है और फिर प्रियंका की। और फिर पहले मैं बेठता था, और नीचे ही नहीं उतरता था। तो प्रियंका कहती थी, "देखिए भय्या, एसा नहीं चलेगा। मुझे भी बैठना है।" तो मैं उसे कहता था, "मेरे रहते तूं नहीं बैठ सकती।" और हमारा झगडा होता था।

शाहरुख: ये 'देखिये भैया' क्या ईन्दिराजी भी बोलती थी? प्रियंका भी बोलती थी?"
राहुल: नहीं, ये तो मैं कह रहा हूं।

शाहरुख: तो आप लोग झगडते भी थे?
राहुल: हाँ, बिलकुल। हम लोग कुर्सी के लिये झगड सकते हैं।

शाहरुख: आप के बचपन का शूरवीरता का कोई किस्सा सुनाईये।
राहुल (धीरे से): (क्या ये सवाल जरूरी है?)
शाहरुख (धीरे से): सर, ये सवाल मोदीजी को भी पूछा गया था।
राहुल (ठीक है): देखिये भय्या, मैं बचपन में बहोत शूरवीर था।  जिस तसवीर में ढेर सारे कमल खिले हुए तालाब कि किनारे दादी, पापा, मम्मा, प्रियंका और मैं बेठे हुए थे, उस तालाब के कमल को मैंने छूने की शूरवीरता दिखाई थी।

शाहरुख: अच्छा, वेरी गूड। फिर क्या हुआ।
राहुल: फिर मम्मा ने कहा, भूल से भी कमल के फूल को न छूना। ये सांप्रदायिक बात है। कमल है वो विष्नु और लक्ष्मी जी को चढाया जाता है। इस लिए उसे मत छुओ। उसे छूने जाओगे तो तुम्हारे हाथ किचड से मैले हो जाएंगे।

शाहरुख: सही बात है, कमल वैसे भी आप की राइवल पार्टी का निशान है ना?
राहुल: ओह, अच्छा? ठीक है।

शाहरुख: चलिये, चल के बात करते है। आप हंमेशां इतना फ्रेश कैसे नजर आते हो?
राहुल: मैं कभी टेन्शन लेता ही नहीं। आपने देखा होगा, मैंने कभी जीतने का टेन्शन लिया ही नहीं। और चूंकि मैं टेन्शन लेता नहीं, इस लिए फ्रेश रहता हूं।
शाहरुख (मन में) आप नहीं लेते इस लिए पक्ष के कार्यकर्ता भी नहीं लेते।

शाहरुख: अच्छा सर, विपक्ष में आप के मित्र है?
राहुल: हां, है ना, अखिलेश, ममताजी का भतीजा, मायावतीजी का भतीजा, नौवीं फेइल तेजप्रताप, सब मेरे मित्र है।
शाहरुख: नहीं सर, मैं विपक्ष का पूछ रहा हूं।
राहुल: तो भय्या, मैं विपक्ष की ही बात कर रहा हूं।
शाहरुख (समजाना मुश्किल है)

शाहरुख: सर, आप ये बताइये, आप ने एक बार एक सभा में फटी हुई जेब दिखायी थी...
राहुल (मुझे प्रियंका ने कहा था, मोदी की तरह ही सारे जवाब देना और कुर्ते के बारे में मोदीजी ने कहा था कि कुर्ते कीं स्लीव उन्हों ने स्वयं फाडी थी तो मुझे भी एसा ही जवाब देना चाहिए) वो मैंने स्वयं फाडी थी। लोगों को कन्वीन्स करने के लिए।
शाहरुख: (अरे, ये मोदीजी की तरह जवाब देने में चूक कर गये)

शाहरुख: सर, आप गाना गुनगुनाते है?
राहुल: बिलकुल, मैं गाना गाता हूं। आई केन सिंग अ सोंग। 

शाहरुख: आप को कौन से गानें पसंद हैं?
राहुल: जीती बाजी को हारना हमें आता है....और दूसरा, जब लाइफ हो आउट ऑफ कंट्रोल बोल भय्या ऑल इज वेल...देखिये भय्या, इस में मेरा पेटन्ट वर्ड भय्या भी आता है।

शाहरुख: सर, ये आमिर के गानें है। ये नहीं चलेगा। मेरे इन्टरव्यू में आमिर का गाना नहीं चलेगा। मैं अपना एक गाना सूनाता हूं। हारे हारे हारे हम तो दिल से हारे....
राहुल: छी, आप के गाने में तो हारना आता है।
शाहरुख: दूसरा सूनाता हूं...जो तेरी खातिर तडपे पहेले से ही, क्या उसे तडपाना ओ जालिमा, ओ जालिमा
राहुल (मन में) ये गीत तो मेरा लगता है।
शाहरुख: अच्छा सर, मैं अपनी बादशाह फिल्म का गाना सूनाता हूं...मैं तो हूं पागल, ये कहूं हर पल, कर कोई हलचल, होने दे कोई दीवानगी..
(राहुल के मुंह पर गुस्सा आ जाता है)

शाहरुख: चलिए सर, मैं आप को अपना डायलोग सूनाता हूं, आप याद रखियेगा...आप को बहोत काम लगेगा।
राहुल: चुनाव में या चुनाव के बाद?
शाहरुख: चुनाव के बाद। डायलोग इस प्रकार है:
कभी कभी जीतने के लिए कुछ हारना पडता है, और हार कर जीतनेवाले को बाजीगर कहते है।
राहुल: तुम्हारी हर बात में हार की बात क्यों आती है?
शाहरुख: क्योंकि मैं भी अभी हारा हुआ इन्सान हूं। इसी लिए तो आप का इन्टरव्यू ले रहा हूं।
(ये काल्पनिक इन्टरव्यू एक हास्य आलेख है, कृपया इसे सिरियसली न लें)