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Tuesday, October 8, 2019

बिग बॉस: कला संस्कृति में चीन से भारत सरकार प्रेरणा ले





भारत में विदेशी शॉ की भद्दी नकल 'बिग बॉस', वेब सीरीज 'सेक्रैड गेम्स', 'लीला' आदि का बहोत विरोध है। इस से पहले बीबीसी की दिल्ली की पेरा मेडिकल विद्यार्थिनी पर सामूहिक बलात्कार और हत्या पर दस्तावेजी फिल्म पर प्रतिबंध रखा गया।
भारत एक बजार है। कला संस्कृति, आईटी, क्रिकेट और स्पेस सायन्स में सुपर पावर बनने के काफी नजदीक है। लेकिन भारत और हिन्दू संस्कृति को खराब दर्शाना तथा टीवी पर वल्गारिटी की हद करना इस बाबत में भारत की सरकारें उदासीन ही रहती है। बिग बॉस में सन्नी लियोनी और पॉल डान्स आया, तब सब चूप रहें। वीणा मलिक जो आजकल भारत को भरभर के कोस रही है वो आई तब सब चूप रहे। राखी सावंत, पामेला एन्डरसन आई तब सब चूप रहे। ओर तो ओर शाहरूख, सलमान चपल के साथ मंदिर (वो सेट ही क्यों न हो) दिखे तो थोडा विरोध हुआ। २०१५ में तो हद हो गई जब किश्वर नामक प्रतियोगी को कुत्तिया बना के उसको थर्मोकोल की ही सही, हड्डी लाने का कार्य सोंपा गया और पैसे के लिए उसने एसा किया। हिन्दू संतो को खराब दिखाने के लिए तथकथित बाबा ओम को लाया गया। इससे पहले वामपंथी एनडीटीवा के चैनल इमेजिन पर राखी का स्वयंवर, राखी का इन्साफ जैसे शॉ आये। स्टार पर सच का सामना जिस में सेलिब्रिटी सच के नाम पर गंदकी बताते थे आया।
लेकिन भारतीय संस्कृति पर इतने हमले पर सरकारे चूप रही। फिल्म सेन्सर बॉर्ड अवश्य है लेकिन फिल्मों में भी पीके, मिशन मंगल, लुका छुपी जैसी फिल्में हिन्दूओ को खराब दिखाती रही। इस्लाम और इसाइयत का प्रचार करती रही। पहली अवधि में सेन्सरशिप को लेकर बहोत आलोचना झेल चूकी मोदी सरकार दूसरी अवधि में उदार है। जब वेबसीरिझ या इन्टरनेट कन्टेन्ट की बात आती है तो सरकारों के पास बहाना है कि वह हमारे नियंत्रण में नहीं।
अब चीन को लीजिए। चीन की सरकार का क्रोध झेलना न पडे इस लिए होलिवूड के फिल्मकार विशेष ध्यान रखते है। इस की आलोचना करता हुआ एक एपिसोड 'बेन्ड इन चाइना' एडल्ट एनिमेटेड धारावाहिक 'साउथ पार्क' में दिखाया गया। चीन ने अपने देश में सब स्ट्रिमिंग सर्विस, सॉशियल मीडिया, अरे फैन पेजीस पर से भी हटा दिये। 'साउथ पार्क' के निर्माता ने व्यंग्य करते हूए क्षमा मागी कि हमें भी स्वतंत्रता और लोकतंत्र से ज्यादा धन पसंद है।

तो बात यह है। आप के देश में केवल सरकार चला के अपनी मनमानी करना यह आपका उद्देश्य बिलकुल नहीं हो सकता। यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते है लेकिन जहां तक कला संस्कृति की बात आती है उनकी सरकार उदासीन ही दिखती है। केवल पाकिस्तान को झुकाना ही राष्ट्रवाद नहीं, नई पीढी की चिंता कर के कला संस्कृति में विकृति पर लगाम भी देशहित का ही काम है।
(तस्वीरें : इन्टरनेट) 

Monday, January 4, 2016

सोचो कभी एसा हो तो क्या हो।

आप सुबह उठते है और आप के वॉट्सएप पे किसी का संदेशा आता है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीने आज सुबह पांच बजे पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। आप टीवी ओन करते है। टीवी पे बरखा दत्त हवाई अड्डे से बता रही है: अभी अभी हमारा गुरखा रेजिमेन्ट यहां से हवाई जहाज में रवाना हो रहा है। एन्कर पूछता है: बताईये वहां कितने सैनिक है। बरखा बताती है: करीबन १००. थोडी देर में टीवी पे ब्रेकिंग न्यूझ आती है: गुरखा रेजिमेन्ट के १०० जवानो को लेकर जा रहे हवाई जहाज को पाकिस्तानी मिसाइल ने मार गिराया।

दोपहर को समाचार आता है: युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए नरेन्द्र मोदीने आपातकाल (Emergency) का आर्डिनन्स लाया। तभी टीवी पे सोनिया गांधी, शरद पवार, लालुप्रसाद यादव के बाइट्स आने चालु हो जाते है: मोदी इस बहाने आपातकाल लागु करना चाहते है। हम ये हरगीझ होने नहीं देंगे। वे प्रतिनिधिमंडल को लेकर राष्ट्रपतिभवन की तरफ कूच करते है। केजरीवाल ट्वीट करते है: मोदी सायकोपेथ है। वो दिल्ली में प्रदूषण नहीं घटना देना चाहते। ओड-इवन की योजना को विफल करने की ये साजिश है। उधर टीवी पे बहस हो रही है जिस में पूण्यप्रसून बाजपाई बताते है कि हमारी सेना के पास शस्त्र-अस्त्र की कितनी कमी है। मोदीने बिना तैयारी ही युद्ध की घोषणा कर दी। दरअसल मोदी चाहते थे कि पूरा भारत देश उनके कबजे में आ जाये इस दौर में उन्होने स्थिति का फायदा उठाते हुए आपातकाल की घोषणा कर दी।

उधर लोग वोट्सएप पे मेसेज कर रहे है: ये मेरा आखरी मेसेज है, पता नहीं अब नेट कब चालु हो। F*** government. ये युद्ध क्यों होता है?

इस तरफ एक नौजवान फेसबुक पे अपनी सेल्फी शेर कर रहा है शहीद हुए जवान के साथ और लिखता है: Proud to be Indian. उसके नीचे उसका लोकेशन मालूम पडते ही पाकिस्तान दूसरी मिसाईल उस तरफ दाग देता है और बाकी चार पांच जवान शहीद हो जाते है।

सेना में से कुछ लोग जासूसी करते पकडे जाते है तो उसको जेल में डाल दिया जाता है। इस पर साहित्यकार-फिल्मकार-इतिहासकार-वैज्ञानिक अब एवोर्ड वापसी की जगह देश छोडने की धमकी दे रहे है।

कुछ मुस्लिम संगठनोने रेली निकाली और माग की कि जिन जासूसो को जेल में डाला है वो निर्दोष है। उन को रिहा किया जाये। वो सडक पर हिंसा का नग्न नाच करते है।

तो इस तरफ कुछ ईसाई संगठन रेली निकालते है कि मोदीने आपातकाल की घोषणा इस लिए की ताकि माइनोरिटी की आवाज को दबाया जा सके।

महिला स्वतंत्रता के पक्षधारी बडी बिन्दीवाली छोटे कपडेवाली महिलायें टीवी पर बोल रही है: ये महिलाओ को घर में कैद कर के रखने की मोदी की साजिश है।

उधर एसपीएस के एक पटेल नेता कह रहे है कि हम दूध की सप्लाय रोक देंगे अगर हम को आरक्षण न मिला। आपातकाल की घोषणा हम को आरक्षण न मिले इस की साजिश है।

तो कुछ लोग कह रहे है कि सेना में हमारे क्षत्रिय बंधु ही क्यों शहीद होते है? ये एसपीएस वाले कभी क्यों सेना में नहीं जाते? तो दलित नेता कहता है: ये एसपीएसवाले हम को दूध से वंचित रखने की साजिश कर रहे है।

इतने में अरुण जेटली पेट्रोल-डीझल पे सेस बढाने की बात करते है तो लोग एसएमएस करने लगते है: अब भुगतो युद्ध-युद्ध। ईतनी महंगाई हम कैसे जेलेंगे। हमने ये मोदी सरकार को क्यों वोट दिया। पाकिस्तान के साथ शांति रखनी चाहिए। युद्ध की क्या झरुरत थी।

उतने में समाचार आता है कि आईपीएल टुर्नामेन्ट की सभी मेच केन्सल कर दी गई है। नौजवान के एसएमएस आते है: F*** government. खेल पे पाबंदी क्यों?

रुकरुक खान की काले दिलवाले फिल्म रिलीझ होने वाली है। लेकिन युद्ध की स्थिति के कारण उसे केन्सल कर दिया जाता है। रुकरुक खान बयान देता है: एक्च्युअली, ये फ्रीडम ओफ एक्स्प्रेशन का  उल्लंघन है। युद्ध की स्थिति में भी मनोरंजन लेने का सभी को हक है। इस में नई पाकिस्तानी एक्ट्रेस माहिरा खान ने काम किया है और पाकिस्तानी गायक आतीफ असलम ने गाना गाया है। कितने लोगों की रोजीरोटी उससे जूडी है।

तो साक्षी महाराज और साध्वी प्राची का बयान आता है: रुक रुक खान को पाकिस्तान भेज दो। हम ये फिल्म रिलीझ नहीं होने देंगे। भाजप के नेता का निवेदन आता है: रुक रुक खान पाकिस्तानी एजन्ट है।

भाजप अध्यक्ष अमित शाह अपने नेता को ऐसी परिस्थिति में मौन रहेन का आदेश देते है।

उधर असत्यमेव जयतेवाला गरीब खान कहता है: मेरी पत्नी किरण को पाकिस्तानी त्रासवादीओ से ज्यादा मोदी से डर लगता है। हम देश छोड के जाना चाहते है।

मुंबई में गुलाम अली का कार्यक्रम शिवसेना केन्सल करवाती है तो सेक्युलर गेंग ट्वीट करने लगते है: इस में गुलाम अली का क्या दोष। सरकार उन की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

तो इस तरफ असाउद्दीन ओवैसी कहता है: ये मुस्लिमो को कुचलने की मोदी की साजिश है। हम एसा नहीं होने देंगे।

उतने में दिग्विजय ट्वीट करता है: पता चला है युद्ध का आदेश मोदीजीने नहीं भागवतजीने सीधे सेना कमान्डर को दिया। असली सत्ता भागवतजी के पास है।

ममता बेनरजी ट्वीट करती है: बंगाल के चुनाव जितने के लिए मोदीजीने युद्ध घोषित किया है। ये नहीं चोलबे।

हनी सिंह यूट्यूब पे विडियो रखता है जिस में उसने पाकिस्तान पे एक रेप सोंग बनाया है: पाक मेरे ईस पे। तो इधर पूनम पांडे  अपने हाफ नेकेड फोटो के साथ ट्वीट करती है: ये टीझर है। अगर हमारी सेना जीत गई तो मैं पूरे कपडे उतार दूंगी।

गुलझार और जावेद अख्तर पहेली बार मिल के एक गझल आलबम निकालते है: उधर भी इन्सान, इधर भी इन्सान तो क्यों बने हम हैवान।

तो उस तरफ एकता कपूर घोषणा करती है: मैं सन्नी लियोन और आर्मी को लेकर डबल मीनिंग फिल्म बनाउंगी: क्या होट है हम!

ये समाचार देख रहा सामान्य मानव जब भारत मां की तसवीर की और देखता है तो उसकी आंखों में आंसू दिखते है।


Friday, December 18, 2015

What is difference between boycott of Dilwale and Jay Ho movies?


Took part in talk show called 'day special' on GTPL news today (18th December 2015). Topic was Dilwale controversy. My say was Shahrukh tried to rise controversy with calculation to get publicity but it boomeranged. People joined themselves this time as they felt enough is enough. Shahrukh's movie is not boycotted because he was sitting besides Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi in IPL match, as Salman Khan's movie 'Jay Ho' boycotted by MIM leader Owaisi just because Salman Khan met then Gujarat CM Narendra Modi on Uttarayan festival, but Shahrukh's statement was seen as part of country maligning campaign.
He can oppose Narendra Modi if he doesn't like him or BJP or any person/body, but saying intolerance risen in country on mere two or three stray incidents is not right. Each country has this type of intolerance. Recently in US hate crime incidents are happening after San Bernardino attack.
Canadian writer Tarek Fateh, Writer Ruskin Bond, US president candidate Ted Cruz believe Bharat is tolerant.
To a question I said that at the same time people of Bharat are having very short memory or they are more tolerant. After some days they will forget and forgive Shahrukh Khan.
In reply to another question, I said Shahrukh Khan has not said sorry with full heartedly. He said he is asking to forgive him because he is vulnerable at this time. But once film will be super hit, he will see them (Dekh lenge type). (Watch here: https://www.youtube.com/watch?v=Rg1gm0xy0lg).

Friday, November 6, 2015

Shahrukh Khan's interview in 2013 when Bharat was tolerant


When in 2013, Sonia Gandhi remote controlled UPA government was ruling, there were many cases of intolerance. All Girl band Pragassh was banned (read here: http://www.theguardian.com/world/2013/feb/05/kashmir-all-female-rock-group-disband) , Kamal Hassan's film 'Vishwaroopam' was banned due to protest from muslims, CNN IBN (when secular Rajdeep Sardesai was its head) anchor asked Shahrukh Khan @iamsrk about rising intolerance.

He just avoided it by saying that I am actor. When anchor further pushed Shahrukh Khan for speaking all girls band which was targetted by Kashmiri muslim fanatics, he just said I don't want to have specific  chatter and talk about things which are religious and politics. So you can talk to me about my films. Generically I would say that yes, I am artist and I support freedom of expression.

Anchor again pushed Shahrukh Khan to say about intolerance but Shahrukh Khan diplomatically again avoided question by saying I speak about work that I know better.

You can see video here:
https://www.youtube.com/watch?v=V-5ZrYMbaaI