Tuesday, August 6, 2019

विरोधियों को जीतनेवाली बहुभाषी, ज्ञाता तथा कार्यदक्ष सुषमाजी


स्मितसभर चहेरा, बहुभाषी (सम्स्कृत, हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी), ज्ञानी एसी भाजप नेत्री सुषमा स्वराज हमारे बीच नहीं रहीं। जातेजाते वह संतोष लेकर गई कि जीवनभर जिसकी प्रतीक्षा की वह धारा ३७० प्रधानमंत्री मोदी ने समाप्त कर दी।

अपनी कभी मधुर, कभी तीखी तो कभी व्यंग्यसभर वाणी से वह हर किसी का मन जीत लेती थी। तो विरोधियों का मुंह बंध भी करा सकती थी, किन्तु विरोधी से कटुता नहीं होती थी। अधिवक्ता होने के कारण अपनी बात तर्क व उदाहरण से प्रस्तुत करना कोई उनके अब विडियो देख सीखे। १९९६ या १९९७ में संसद में अविश्वास प्रस्ताव के समय उनका भाषण कौन भूला होगा?

सब से अल्प आयु में हरियाणा सरकार में मंत्री से लेकर दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री, संसदीय मंत्री, सूचना व प्रसारण मंत्री, लोक सभा में विपक्ष नेता और गत सरकार में विदेश मंत्री। उन्होंनें फिल्म जगत को विधिवत उद्योग का दरज्जा देकर काले धन और दाउद के चंगुल से निकालने का प्रयास किया। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को चारो खाने चित्त करा देनेवाला उनका भाषण, या इस्लामिक देशो के संगठन ओआईसी में जाकर उन्ही के बीच पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद पर करारा हमला कौन भूला सकता है। मोदीजी की विदेश नीति में उनकी सहभागिता भी उल्लेखनीय है। मोदीजी के विदेश जाने से पहले वह वहां जाकर सानुकूल पृष्ठभूमि वह सजा देती थी। सुरेश प्रभु ने रेलवे मंत्री के रूप में ट्वीट पर संज्ञान लेकर जो सहायता और काम शुरू किया तो सुषमाजी ने भी विदेश मंत्री के रुप में विदेश में बसे अनेक भारतीयो की सहायता की।

एक समय जिसको प्रतिस्पर्धी माना, नहीं स्वीकारा एसे मोदीजी प्रधानमंत्री बने और  मोदीजी ने भी सुषमाजी का अनुभव व निपुणता देखकटुता भूल उन्हें इन्दिराजी के बाद दूसरी महिला विदेश मंत्री बनाया तो फिर वह शिस्तबद्ध कार्यकर्ता बन अपने दायित्व को कुशलतापूर्वक निभाया। स्वास्थ्य खराब हुआ तो चुनाव न लडने की घोषणा करने की हिंमत भी दीखाई।

प्रभु उनकी आत्मा को शांति दे। 

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